ओम नमः शिवाय कावड़ यात्रा समिति ने इस बार कोरोनावायरस की वजह से ड़ी कावड़ निकाली जिसमें सभी कावड़ यात्री ने मां नर्मदा का जल कावड़ में भरकर दौड़ते हुए करीब 50 किलोमीटर की दूरी तय की सभी कावड़ यात्रियों ने करीब 2-2 किलोमीटर दौड़ते हुए एक ही दिन में निश्चित दूरी तय की व उमरीखेड़ा हनुमान मंदिर पर भोलेनाथ जी का जलाभिषेक किया हुआ उसके पश्चात आरती की ।जानकारी में ओम नमः शिवाय कावड़ यात्रा के सदस्य अशोक डोटवाल ने यह जानकारी दी और जानकारियां बताया कि बाल कृष्ण जरिया के नेतृत्व में प्रतिवर्ष करीब 8 वर्षों से कावड़ यात्रा निकाली जा रही है जिसमें करीब 200 के आसपास व्यक्ति कावड़ उठाते हैं कोरोना महामारी की वजह से इस बार करीब 50 व्यक्तयो का चयन किया गया जिन्होंने सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुऐ सफर तय किया जिसमें प्रमुख रुप से बालकृष्ण जरिया राजू दुबे प्रदीप दुबे गणेश जरिया ओमप्रकाश नागराज रणजीत चौहान जितेन दुबे जीतू जरिया विजय चौहान गणेश जरिया नितिन दुबे मुकेश दुबे आदि लोग सम्मिलित हुए।
इसी के साथ पुरानी परंपरा के अनुसार बारिश के लिए उमरीरी खेड़ा की महिलाएं व पुरुष भेष बदलकर गांव में आधी रात को निकले परंपरा के अनुसार कहा जाता है कि लेडीस जेंट्स के वस्त्र पहनकर डाकू का वेश धारण करके व बाकी के लोग भी लठ लेकर निकलते हैं व गांव के घरों पर अचानक जाकर दरवाजा व चद्दर पीटने लगते हैं जिससे घरवाले अचानक आई हुई अवाजो से चिखने चिल्लाने लगते है डर जाते हैं उन्हें ऐसा लगता है कि चोर डाकू ने हमला कर दिया है और चीखने चिल्लाने लगते हैं इसी बीच लोग उन्हें ने समझा देते हैं कि डरो मत हम लोग हैं पानी लेने आए हैं यह सिलसिला पूरे गांव में चलता है और परिवार वालों से एक लोटा पानी लेकर साथी महिला के सर पे रखी मटकी मे डलवाया जाता है में जो कि सर पर लेकर महिला चलती है उसमें एक मेंडक भी रखा जाता है यह सब अच्छी बारिश के लिए किया जाता है बारिश आ जाती है तो मटके के पानी को बारिश के पानी में बहा दिया जाता है इसमें जो परिवार इन चीजों को समझते हैं वह सहयोग देते हैं और कई लोग परंपरा नहीं मानते हैं तो कई जगह विवाद भी करने लगते हैं जो नहीं मानते उन्हें समझा दिया जाता है कि हमारा मकसद सिर्फ पानी मांगने का है अच्छी बारिश के लिए ही हम यह सब कर रहे हैं समझदार तो तुरंत समझ जाते हैं और कुछ लोग इन चीजों को नहीं मानते वही बहस करते हैं अच्छी बारिश के लिए गॉव के महिला पुरुष दोनो ने यह परंपरा का निर्वाह करते हुए रात करीब 1:00 बजे सेे चार बज तक गांव मे घुमते रहे आज देखा जाए तो कई वर्षों से बारिश की वजह से सोयाबीन की फसलें बर्बाद हो रही थी इस बार कोरोना महमारी ने किसानों को रुला रखा है और अब कुछ फसलें अच्छी हुई है इस वर्ष कम बारिश की वजह से फसल सूखने की कगार पर है इसी वजह से चिंतित किसानों ने अच्छी बारिश के लिए यह एक अनूठा प्रयास किया।