कोरोना काल में किसानों की हो रही है फजीहत, यहां-वहां सब्जियां बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं, कोरोना से बचने के लिए सभी जगह से किसानों को सब्जी बेचने से रोका जा रहा है, वही किसानों का कहना था कि, कोरोना महामारी का डर दिखाकर सब्जी मंडी बंद कर दी गई है, और नेता लोग भीड़ इकट्ठी करते हे, तो क्या उससे कोरोना वायरस नहीं फैलता है, साशन हमारे साथ इतना भेदभाव क्यों कर रहा है, हमारी सब्जियां खेत में ही सड रही हे, तैयार सब्जियां नहीं बेच पा रहे हैं, हमें रोज नुकसान हो रहा है, रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है, जेसे-तैसे हमने फसल तैयार की हे, हमारा प्रशासन से निवेदन है कि, व्यवस्थित तरीके से सब्जियां बिकवानेै की व्यवस्था करें, व्यापारी अपना फायदा के लिए कहीं भी सब्जी मंडी चालू कर देते हैं, फिर विरोध का सामना करना पड़ता है इसी कड़ी में पिछले दिनों खंडवा रोड टोल नाका उमरी खेड़ा में सब्जी मंडी बगैर पंचायत को अवगत कराएं चालू कर दी गई थी, गंववासियों ने विरोध किया, व दूसरे दिन गांव में मंडी नहीं लगे इसलिए रत्रिजाग्रण करके वहां से व्यापारियों ओर किसानों को समझाइश देकर वहां से हटाया गया, और वहां पर मंडी नहीं लगने दी गई, उमरी खेड़ा के सरपंच प्रतिनिधि महेश जरिया व गांव वालों का का कहना था कि, कोरोना वायरस महामारी विकराल रूप ले रही है, कई गांव से कोरोना पेशेंट निकलना चालू हो गए हैं, और गांव की सुरक्षा को देखते हुए हमने मंडी लगाने का स्पष्ट मना कर दिया है, कुछ व्यापारियों ने विवाद की स्थिति उत्पन्न की मगर उन्हें समझाइश देके यहां से रवाना कर दिया गया है, विरोध में गांव के जागरूक नागरिक समाजसेवी महेश जरिया, प्रेमचंद जरिया, संजय दुबे, विनय दुबे, ललित दुबे मोंटी दुबे, जुगल किशोर जैसवाल, बालकृष्ण जरिया संतोष लखवाल, पर्वत ठाकुर, इमरान खान, पत्रकार यस बोरासी, लोकेश जरिया, राहुल जरिया, अनिल दुबे, भुरु दुबे, विजय दुबे, व अन्य रेवासी शामिल थे.
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